बाप रे बाप गर्मी हैं !ना जाने कितने सालों के बाद ऐसी गर्मी आई हैं। शाम में,जब मैं पार्क घूमने गया तो एक बुजूर्ग अपने साथी मित्र से कह रहें थे... बाप रे...।जहां पर मैं बैठा था वहीं बगल में बैंठा नौजवान कह रहा था एक चक्कर पार्क घुमने के बाद इतना पसीना हो रहा हैं कि अब टहलने का मन नहीं कर रहा...। खबरीयां चैनलों में या अखबार में भी यहीं खबर देखने को मिल रहा हैं...। जहां केन्द्र सरकार ने देश में मानसून के कमजोर पड़ने की अधिकारिक घोषणा कर दी हैं।वहीं इस स्थिती से निपटने के लिए केन्द्रिय जल संसाधन सचिव ने राज्यों के सिचाई सचिवों की बैठक ली और इससे निपटने के इंतजाम के निर्देश दिए। अब ये बात अलग हैं कि क्या इंतजाम होंगे ये तो भगवान ही जानें...।
जब सरकार ने अपना काम शुरू किया तो आम जनता कैसे चुप बैठती उसने भी अपनी पारंपरिक उपायों को अजमाना शुरू कर दिया है इसी क्रम में नागपुर में बुधवार को मेंढ़क और मेंढ़की की शादी रचाई गयी। ऐसा माना जाता हैं कि पूरे रीति-रिवाज से मेढ़क की शादी की जाए तो वर्षा जल्द होगी...।कुछ दिन पहले ही औरतों ने मिल कर खेतों में हल जोता। कुछ तो यमुना नदी की पुजा अर्चना में लगे है तो कुछ इन्द्र देव को मनाने में लगे हैं।नेता भी पिछे नहीं है जहां जनता की भीड़ और मिडीया की उपस्थिती है वहीं वो पुजा कर रहैं है या तो चादर चढ़ा रहे हैं।
उपाय भी हो रहे है... और निर्देष भी जारी कर दि गई है ये अलग बात है कि आम जनता जो की घर में बैठ नहीं सकती, जिसे दो रोती कमाने के लिए तपती धुप में निकलना पड़ता हैं वो अपने लिए क्या उपाय करे...वो गरीब कहा रात – दिन बिताए जिसके लिए उसका घर खुला आकाश हैं आखिर कब बरसेगी मेघा...बरसो रे मेघा बरसो...!
जब सरकार ने अपना काम शुरू किया तो आम जनता कैसे चुप बैठती उसने भी अपनी पारंपरिक उपायों को अजमाना शुरू कर दिया है इसी क्रम में नागपुर में बुधवार को मेंढ़क और मेंढ़की की शादी रचाई गयी। ऐसा माना जाता हैं कि पूरे रीति-रिवाज से मेढ़क की शादी की जाए तो वर्षा जल्द होगी...।कुछ दिन पहले ही औरतों ने मिल कर खेतों में हल जोता। कुछ तो यमुना नदी की पुजा अर्चना में लगे है तो कुछ इन्द्र देव को मनाने में लगे हैं।नेता भी पिछे नहीं है जहां जनता की भीड़ और मिडीया की उपस्थिती है वहीं वो पुजा कर रहैं है या तो चादर चढ़ा रहे हैं।
उपाय भी हो रहे है... और निर्देष भी जारी कर दि गई है ये अलग बात है कि आम जनता जो की घर में बैठ नहीं सकती, जिसे दो रोती कमाने के लिए तपती धुप में निकलना पड़ता हैं वो अपने लिए क्या उपाय करे...वो गरीब कहा रात – दिन बिताए जिसके लिए उसका घर खुला आकाश हैं आखिर कब बरसेगी मेघा...बरसो रे मेघा बरसो...!
No comments:
Post a Comment