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Tuesday, December 23, 2008

आम आदमी की सोच ! “गांधी और बुश”


मैं जिस ऑफिस में काम करता हुं वहां मेरी रात की शिफ्ट चल रही है।मैं शिफ्ट खत्म कर घर जानें को निकला ..सिढ़ीया उतर ही रहा था कि तभी कौशल की आवाज सुनाई दी । क्या बे घर के लिए निकले हो क्या ? हां दोस्त ! हम चलेंगे, चलो।ऑफिस की ही बात करते हुए हम बस स्टॉप की तरफ चल पड़े..। आज संयोग अच्छा था तभी तो 943 नं. की बस हमें जल्द ही मिल गयी। मौसम बड़ा सुहाना लग रहा था। बस की खिड़कियां बंद होने के बावजूद हल्की-हल्की ठंड महसूस हो रही थी।ऐसे में सोने के सिवा मुझे कुछ और करना अच्छा नहीं लगता।हाथ को आगे वाली सीट के उपर में रखा और सो गया । तभी लोगों की बातचीत सुनाई पड़ी... लोगों की आवाज़ गाड़ी की पोंSSSS पोंSS के साथ कट रही थी।
जब मैंने बात में इंटरेसट लिया तो पहला व्यक्ति कह रहा था आज भी लोग गांधी जी को सबसे पहले सलामी देते हैं..। दूसरा कैसे ? पहला अरे यार जब भी कोई विदेशी नेता भारत आता हैं तो सबसे पहले राजघाट जरूर जाता हैं।तीसरा व्यक्ति गुस्से में बोला छोड़ो यार हम लोग उनके जाने से अपनी इज्जत देखते हैं जबकि ऐसा हैं नहीं ।जब ज़ॉर्ज बुश आने वाला था तब कुत्तों से छानबीन कराई गयी थी, राजघाट के अंदर – बाहर ये कहकर की सुरक्षा के लिए जरूरी था। छोड़ो यार अभी मुम्बई हमले में पाकिस्तान का हाथ होने के सबुत सारे चैनलों पर दिखाये गए क्या हुआ और भारत हाथ में हाथ देकर बैठा है आखिर क्यों ? भारत के प्रधानमंत्री अगर बुश होते तो....? पहले सज्जन बोले अगर बुश होते तो पाकिस्तान की तो ... कर देता..। सबने कहा छोड़ों यार तुम तो सिरीयस हो गये। माहौल कुछ पल के लिए शांत हो गया...सब चुप थे कि अचानक बस ने ब्रैक मारा सब आगे की तरफ गिरते- गिरते संभले..। कुछ देर के बाद हम लक्ष्मी नगर में उतर कर आपस में बात करते हुए घर की तरफ जा रहें थे ।
दोस्तों मुझे पता हैं कि जो लोग आपस में बातें कर रहे थे वो घर में जाएंगे और अपने- अपने परिवार की खुशियों में खों जाएंगे... कोई भी इस बारें में नहीं सोचेगा ।क्या आप भी .....?

4 comments:

Anonymous said...

aj hamari dunia hamare ghar tak hi simit raha gayi hai. hamare desh main kya hora hai is se kisi ko koi fark nahi pad ta hai. aj ke yuva ka uddeshy sirf behatar zindgi jina hai. main or mera parivar, padosi se koi matlab nahi hai. jis ko padosi ki chinta nahi hai wo desh ke liye kya khak sochega. har adami apne aap mein khoya hua hai. or wahi attitude 'kya fark padta hai' hamare karne se or na karne se. hamri asli pahechan yahi hai, aise hi hain hum dindustani,

Anonymous said...

गांधी का पूरी दुनिया में न कोई मुकाबला हुआ है और न होगा। गांधी हमारे देश के राष्ट्रपति ही नहीं, देशी की आत्मा हैं।
manzilauumukam.blogspot.com

Anonymous said...

गांधी का पूरी दुनिया में न कोई मुकाबला हुआ है और न होगा। गांधी हमारे देश के राष्ट्रपिता ही नहीं, देश की आत्मा भी हैं।
manzilauumukam.blogspot.com

December 29, 2008 12:57 PM

Anonymous said...

श्याम भाई बहुत अच्छे....सही लिखा हैं आपने सब भुल रहे हैं ...बस एक सोच जो होगा देखा जाएगा।क्या होगा इस देश का ...।