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Saturday, March 6, 2010

वो पहला पैग


बगिया के दोस्तों को होली की शुभकामना, काफी दिनों से कुछ लिखा नहीं, कारण कई थे… आज भी लिखनें के लिए मन नहीं बना पा रहा था मगर जो हुआ हैं उसको सुननें के बाद मुझे लगा की ये बात हम सब को पता होना चाहीए की ऐसा भी हो सकता हैं, या ये कहें की हमें पता तो होता है मगर हम इतने सीरियस नहीं होते .... आप सोच रहे होंगे की आखिर बात क्या हो गई इसके बारें में जाननें के लिए आपको चार साल पीछे जाना होगा... लक्ष्मी नगर के जिस मकान में मैं चार साल पहले रहता था उस मकान में मकान मालिक उनकी पत्नी, एक पुत्र और एक पुत्री हैं परिवार बहुत खुशहाल और मिलनसार हैं, लेकीन अंकल को शराब पीने की आदत हैं जो की महीने कि एक तारिख से 15 तारिख तक जोर पर रहता है उसके बाद कम हो जाता है या जबरन मारपीत कर पत्नी से पैसे मांगना जब हम इनके यहां रहने आये तो ये सब नहीं था,मगर एक ऑफिसीयल पार्टि में दोस्तों के द्वारा बियर में नशा नहीं होने की बात... थोडी सी पिने में क्या हो जाएगा और वो पहला पैग जो अंकल ने पीया वो आज तक खत्म नहीं हो पाया।
उपयुक्त बात इस लिये बताना जरुरी था क्योंकि कल सब्जी मार्केट में
मुझे आंटी मिली थी (ये मुलाकाता हमारी तीन साल के बाद हुई थी ) आंटी ने मेरा हालचाल जाना उसके बाद जब मैंने अंकल के बारे में जानना चाहा तो उन्होने कहा 6 महीने से अंकल Hospital में हैं शराब अधिक पिने से उनके दिल में पस जमा हो गया है और अब डॉ. दिल में छेद होने की बात कह रहें हैं.... 5 लाख खर्च हो चुका है पता नहीं आगे क्या होगा आंटि के आखों में आंसू आ गये । फिर मैने बात पलटने के लिए आंटी से उनके लड़के के बारे में पुछा थोड़ी हंसी के साथ उन्होने कहा की अब तो वो स्कुल में पढ़ाने लगा हैं। उसके बाद मैंने कहा आंटि कल मैं अंकल से मिलने आता हुं... और वहां से अपने रुम के लिए चल दिया रास्ते मैं सोच रहा था की काश अकंल ने वो पहला पैग नहीं पिया होता । काश....

3 comments:

VISHNU said...

हां बहुत दुखद है। तुम्हारी इस धटना से मुझे भी एक घटना याद आ गई। पहले एक सिगरिट का कश औप फिर जिंदगी भऱ कशमकश। अगर आप में से किसी ने पीना शुरु नहीं किया होतो तो अभी से किसी भई दोस्त यारों की बातों में मत आता। नहीं यो आप को भी इसी तरह झुझना होगा. पहले सिगरिट का कश और फिर जिंदगी भर कशमकश.

harsh verma said...

हालात कब कैसे पनप जाए कुछ नहीं कहा जा सकता। किसके के मुस्तबिल में क्या आए कुछ कहा नहीं जा सकता। बस इतना पता है कि उस दर्द को जो आपने पलभर के लिए झेला उस औरत को जिंदगी भर झेलना पड़ेगा। क्योकिं जिंदगी कभी रुकती नहीं...हर्ष वर्मा

Anonymous said...

bhawana sharma
"jindagi ek sach hai aur sach sabse bada sangharsh"
vo insaan uska pati hai jo uss aurat ki 'jindagi' hai...per unka peena uss aurat ke liye sabse bada 'sangharsh' hai ,jise iss halat mein uska saath dena hoga aur uss bure waqt mein apni jindagi ko maut ke muh se nikalana hi hoga...