बगिया
हर तरह के फूल हमारी बगिया में महकेगी...
Tuesday, May 19, 2020
Huge crowd of migrant workers gathered outside the Bandra railway station in Mumbai
Tuesday, May 12, 2020
क्यों जरूरी है मास्क और दो गज की दूरी

इस लिए दूरी
बनाए रखें और अपना ध्यान रखें।
Saturday, February 25, 2017
बस गदहा मत बनना...

कई पत्रकारों ने तो गदहों को दिखाया अपने चैनलों में भी...
ध्यान से देखिएगा...अरे भाई मेरी गलति ना देखो कि गदहा नहीं होता गधा होता सब चलता
है आजकल लिखने में बस गदहा मत बनना...
Monday, March 23, 2015
एक निर्भया- भारत की बेटी
भारत के इतिहास में
जब भी देखा कुछ अलग सा नजर आया... हां आईने में कुछ तलाशने की जरुरत थी… ठीक उसी समय संसद में राजनाथ सिंह को सांसदों को
आश्वासन देते सुना, सुनने के बाद समझा की India’s daughter नाम कि
एक Documentary film आ रही है.. जिसको रोकने के लिए राजनाथ बोल रहे थे… तब मुझे पता चला कि BBC ने India’s daughter के नाम
से 8 मार्च को documentary
का प्रसारण करेगी जिसको सरकार रोकना चाहती है... मुझे लगा यस... वैरी गुड... है कोई सरकार... जो
छोटी-छोटी बातों पर भी ध्यान रखती है। शाम हुआ और खबरियां चैनलों ने इस पर चर्चा
शुरू की और देखते ही देखते बात सोशल मीडिया ने उस मुकाम पर पहुंचा दिया जहां हर एक
बच्चा भी ये जान गया था कि 16 दिसंबर की रात निर्भया के साथ जो कुछ हुआ था उस पर
एक फिल्म बन रही थी... जिसमें मुकेश सिंह ने कुछ ऐसी बातों को रखा जिसे सुन कर
लोगों के रोए खड़ें हो गए ...। शायद इसलिए जावेद अख्तर ने कहा था कि इस फिल्म को
लोगों के सामने आना चाहिए क्योंकि जो रेपिस्ट ने कहा है वही हमारे समाज का एक वर्ग
भी बोलता है... चर्चा उस दिन की खत्म हो गई दूसरे दिन(04-03-15) भारतीय समय के
अनुसार प्रात: 3:30am में बीबीसी ने फिल्म को प्रसारित कर दिया... भारत
की बेटी पर बनी फिल्म रातों-रात बीबीसी कि टीआरपी बढ़ाने वाली थी इसी सोच को आगे
लाते हुए इन्होंने इस फिल्म को प्रसारित कर दिया... भारत में इस फिल्म पर रोक लग
गई...मगर लगभग लोगों ने ये फिल्म देखी क्योंकि ये फिल्म YouTube पर आ चुकी थी जिस पर भी ऱोक लगी... मगर तब तक
बहुत देर हो चुकी थी.. कई जगहों पर लोगों ने इसे download भी कर लिया था...
कुछ प्रश्न मेरे मन
में आये उस फिल्म को देखने के बाद
1-
ये फिल्म
काफी दिन से भारत में बन रही थी तब सरकार कहा सोई थी।
2-
जेल के
अंदर कैसे इंटरव्यू लिया गया...और इतने नामी अपराधियों पर...
3-
आने
वाले समय में क्या कोई जेलर या उससे संबंधीत व्यक्ति किसी पत्रकार पर विश्वास कर
पाएगा और इंटरव्यू लेने देगा...
4-
YouTube
को क्या भारतीय कानून का ज्ञान नहीं था जो
उन्होंने इसको दिखाया...
5-
लड़की
के माता पिता ने भी ये कहा कि हमें कोई दिक्कत नहीं कि ये फिल्म दिखाया जाए या
नहीं दिखाया जाए मगर सवाल ये है कि अगर सरकार रोक रहीं है तो इसका प्रसारण नहीं
होना चाहिए।
अब भारत की बेटी पर टीआरपी का सौदा हो चुका
है ऐसे में अब कुछ भी किया जाए कम होगा 16 दिसंबर 2012 का दिन कुछ सवाल उठाया था
मगर कुछ नहीं हुआ 4 मार्च 2015 का प्रसारण भी कुछ
सवाल उठातें है जिसकों बारिकी से समझना होगा मुझे, आपको और सरकार को लेकिन
होगा क्या ये सबको पता है
जय भारत !
जय भारतीय बेटियां???
Saturday, December 27, 2014
सेब ना होता तो हम आप भी ना होते!
डाक्टर ने... या आप के बड़ों ने… या दोस्तों ने...
कभी ना कभी ये कहा होगा कि सेब खाने से कई फायदे है। मगर हम यहां बात कर रहें है सेब के उन करामातों को जिसने बदल के रख दिया संसार को
तो आइए बात करते है सबसे पहले उस सेब की जिसने मानव जाति की आबादि एक से महाशंख तक
पहुंचादिया। या यूं कहे की सेब ना होति तो हम आप भी ना होते।य़े बात हंसने में जरूर
लगता है पर सचाई है…
हम बात कर रहें है :-
ईडन या खुल्द की कई इब्राहीमी धर्मों की मान्यताओं में वह जगह
थी जहां ईश्वर ने पहले पुरुष आदम और पहली स्त्री हव्वा या ईव की सृष्टि के बाद
उन्हे रखा था। इस जगह के बारे धर्मकथाओं के अनुसार ये माना जाता है कि एक सौंदर्य
और शांति से भरे उद्यान के रूप में ईडन के बारे में जाना जाता है... जहां ये दोनों
निर्दोष और निष्कपट चरित्र से रहेते थे… कहानि यूं है
कि ईडन के बगीजे में आदम और हव्वा बिलकुल अज्ञान और निर्दोष स्थिती में आनंद से
बच्चों की तरह रहते थे...दोनों नग्न रहते थे और कोई शर्म नहीं अनुभव करते थे और तो
और उन्हें यौन संबंधों का भी कोई ज्ञान नहीं था। ईडन(बगीजे) में एक ज्ञान का वृक्ष
था उसपर लगे फल को खाने के लिए ईश्वर ने आदम और हव्वा को मना किया था ।अगर हम ईसाई
मान्यता को माने तो पता चलता है कि ज्ञान के वृक्ष में एक साप रहता था...इसी साप
ने हव्वा को फल खाने के लिए उकसाया और हव्वा ने आदम को फल खाने के लिए कहा ... आदम
और हव्वा जो कि एक बच्चे की तरह अज्ञानी हो कर रहते थे फल को खाने के बाद अचानक से
ये बड़े हो गए। और उन्हे लगा कि हम नग्न नहीं रह सकते ये सही नहीं है... और फिर उन
दोनों ने वृक्ष के पत्तों को अपना वस्त्र बनाया और पहन के खुमने लगे... अचानक से
एक दिन ईस्वर उधर से जा रहे थे तो ईडन में आ गए यहां पर देखा कि आदम और हव्वा
दोनों वृक्ष के पत्तों का वस्त्र बना कर बहन रहे है ईस्वर को बात समक्षने में समय
नहीं लगा और ईस्वर ने दोनों को उस बगीजे से निकाल दिया। तब से ईसाई
मानय्ता है की मानव पापी अवस्था में संसार में भटक रहा है। दोस्तो जो
ज्ञान का वृक्ष था वो सेब का ही वृक्ष था मतलब ये है कि इस संसार में मानव को लाने
वाला सेब ही है। क्योकि इसी को खाने का दण्ड उन्हे पृथ्वी पर ले कर आया।

अब बात हमारे तीसरे नायक स्टीव जॉब्स की

इस स्टोरी को जिस तरह से में दो साल से लिखना चाहता था वो
लिख नहीं पाया मगर फिर भी लिखने की कोशिश की है। रिसर्च का आधार लिया गाय...ये स्टोरी मेरे
पास 2011 में मेरे भाई सौरभ (सन्नी) के
द्वारा भेजे गए SMS पर आधारित है जो निम्न है।
According to bible if
ever would not have dat apple…
The world would not
have started and if newton would not have noticed that apple we don’t have
modern appliances…
And at last but
not least third apple was manufactured by steve jobs who changed d way of
listening music b4 we had phones
Now we iphones we
have walkmns – ipod….
Monday, October 13, 2014
जन्नत बना जहन्नुम
जम्मू कश्मीर में बाढ़ से लोगों की मौत ने 55 सालों के बाद वो दर्दनाक मंजर सामने लाया जिसको सुधारना मानवीय हाथों में तो
नहीं...ये पहली बार नहीं हुआ...‘कुदरत का कहर’ यहां हमेंशा 55-54 सालों
में होता रहा है ...(लगभग 250-300) मौत की चीखों ने लोगों को हिला कर रख दिया..
लोगों ने अपने आप को बचाने के लिए हर उस जगह का सहारा लिया जहां उनकी जान बचने की
कोई एक उम्मीद नजर आई... ऐसे में केन्द्र सरकार जिंदगी बचाने निकली और सेना के
तीनों टुकड़ीयो को “मिशन मेघदूत” के तहत भेजा। फौज ने अपनी जान
पे खेल कर कई जानों को बचाया...दूसरे राज्यों से रोजी-रोटी के लिए आए लोगों के
यहां मानों मातम छा गया... किसी से भी कोई सम्पर्क नहीं हो रहा था परिजन किसी
अनहोनी के दर्द से डर रहें थे...। किसी का मोबाईल नहीं लग रहा था आनें-जानें का
रास्ता भी बंद था पुल टूट गए थे; ऐसे में सेना नें 16 घंटे
में पुल को बना दिया।
कई लोग पानी में फंसे थे... कई ने
पत्थरों का सहारा लिया और कई ने घर के तीसरे मंजिल को सहारा बनाया। ऐसे में कुदरत
ने किसी फरीयादी की फरियाद सुनी और बारिश की बुदें कम होती चली गई...नदी का पानी
भी ठहर सा गया । और अब राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के पास नई कठीनाईयां सामने आई
जहां बीमारी और भूखमरी नें लोगों के हौसले तोड़ चुकी थी वही सरकार इन मुसीबतों से
कैसे लड़ेगी ये देखने वाली बात थी ।ऐसे में कईलोग मसीहें के रुप में सामने आए और
लोगों कि मदद के लिए हाथ बढ़ाया।
लिखा है किस्मत में जख्म तो मरहम को याद क्या करना
जहां के हाकिम हो बेरहम वहां जिंदगी के लिए फरीयाद क्या करना....
Thursday, September 1, 2011
Wednesday, August 24, 2011
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